Friday, 15 September 2017

रोहिंगे ।

एक जलन मेरे सीने में भी हैं


 एक जलन तेरे सीने में तू
 जल रहा हैं


उस वतन के लिए जिसमे जयचन्दों की फ़ौज




 भी क्या करेंगा इन मृत शरीरो को जगाकर जिसमे न प्राण
हैं न देने को आन


अपने ही देश मे बने शरणार्थीयो की
चिंता न उनका सम्मान और लगे पड़े हैं जयचंद भडवे




रोहिंग्या के विधवा विलाप करो कुछ इस वतन के लिए
न होंगे जयचन्द न होंगे उनके बाप ।




।। सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल मे हैं देखना हैं जोर
 कितना बाजुए कातिल में हैं ।।



वंदे मातरम

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