Sunday, 29 January 2017

भन्साळी ला राजपुती चोप !

 बॉलीवुड में भांड भरे है, नीयत सबकी काली है...
इतिहासों को बदल रहे, संजय लीला भंसाली है...

चालीस युद्ध जितने वाले को ना वीर बताया था...
संजय तुमने बाजीराव को बस आशिक़ दर्शाया था...

सहनशीलता की संजय हर बात पुरानी छोड़ चुके...
देश धर्म की खातिर हम कितनी मस्तानी छोड़ चुके...

अपराध जघन्य है तेरा, दोषी बॉलीवुड सारा है...
इसलिए 'करणी सेना' ने सेट पर जाकर मारा है...

संजय तुमको मर्द मानता, जो अजमेर भी जाते तुम...
दरगाह वाले हाजी का भी नरसंहार दिखाते तुम...

सच्चा कलमकार हूँ संजय, दर्पण तुम्हे दिखता हूँ...
जौहर पदमा रानी का, तुमको आज बताता हूँ...

सुन्दर रूप देख रानी का बैर लिया था खिलजी ने...
चित्तौड़ दुर्ग का कोना कोना घेर लिया था खिलजी ने...

मांस नोचते गिद्धों से, लड़ते वो शाकाहारी थे...
मुट्ठी भर थे राजपूत, लेकिन मुगलो पर भारी थे...

राजपूतो की देख वीरता, खिलजी उसदिन काँप गया...
लड़कर जीत नहीं सकता वो ये सच्चाई भांप गया..
.
राजा रतन सिंह से बोला, राजा इतना काम करो...
हिंसा में नुकसान सभी का अभी युद्ध विराम करो..
.
पैगाम हमारा जाकर रानी पद्मावती को बतला दो...
चेहरा विश्व सुंदरी का बस दर्पण में ही दिखला दो...
              
राजा ने रानी से बोला रानी मान गयी थी जी...
चित्तौड़ नहीं ढहने दूंगी ये रानी ठान गयी थी जी.
..
अगले दिन चित्तौड़ में खिलजी सेनापति के संग आया...
समकक्ष रूप चंद्रमा सा पद्मावती ने दिखलाया...

रूप देखकर रानी का खिलजी घायल सा लगता था...
दुष्ट दरिंदा पापी वो पागल पागल सा लगता था...

रतन सिंह थे भोले राजा उस खिलजी से   छले गए...
कैद किया खिलजी ने उनको जेलखाने में चले गए...

खिलजी ने सन्देश दिया चित्तौड़ की शान बक्श दूंगा...
मेरी रानी बन जाओ,,,,, राजा की जान बक्श दूंगा...

रानी ने सन्देश लिखा,, मैं तन मन अर्पण करती हूँ...
संग में नौ सौ दासी है और स्वयं समर्पण करती हूँ...

सभी पालकी में रानी ने बस सेना ही बिठाई थी...
सारी पालकी उस दुर्गा ने खिलजी को भिजवाई थी...

सेना भेजकर रानी ने जय जय श्री राम बोल दिया...
अग्नि कुंड तैयार किया था और साका भी खोल दिया.
..
मिली सुचना सारे सैनिक, मौत के घाट उतार दिए...
और दुष्ट खिलजी ने राजा रतन सिंह भी मार दिए...
           
मानो अग्नि कुंड की अग्नि उस दिन पानी पानी थी...
सोलह हजार नारियो के संग जलती पदमा रानी थी...

सच्चाई को दिखलाओ,,,, हम सभी सत्य स्वीकारेंगे...
झूठ दिखाओगे संजय,,, तो मुम्बई आकर मारेंगे...




*भंसाली की फिल्‍म पर बवाल जानें रानी पद्मावती की असली कहानी !!*

*संजय लीला भंसाली की नई फिल्‍म पद्मावती को लेकर इस समय काफी चर्चा है। राजस्‍थान में फिल्‍म की शूटिंग के विरोध और भंसाली के साथ मारपीट के बाद इस फिल्‍म को लेकर लोगों को उत्‍सुकता हो गई। सभी को जानना है कि आखिर पद्मावती कौन थी और जिसकी कहानी में छेड़छाड़ करना भंसाली को भारी पड़ गया। आइए पढ़ें पूरी कहानी...*
                                               
*रानी पद्मावती चित्तौड़ की रानी थी। रानी पद्मावती के साहस और बलिदान की गौरवगाथा इतिहास में अमर है। सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन और रानी चंपावती की बेटी पद्मावती की शादी चित्तौड़ के राणा रतनसिंह के साथ हुई थी। रानी पद्मावती बहुत खूबसूरत थी और उनकी खूबसूरती पर एक दिन दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की बुरी नजर पड़ गई।*

*रानी पद्मावती को पाने की ललक में खिलजी ने चित्‍तौड़ पर आक्रमण की ठानी। खिलजी ने एक चाल चली और रतनसिंह को पत्र लिख कर कहा की रानी पद्मावती को वह अपनी बहन समान मानता हैं और एक बार उनके दर्शन करना चाहता हैं इस पर राणा रतनसिंह ने सहमति जताई और रानी पद्मावती कांच में अप्रत्यक्ष रुप से अपना चेहरा दिखाने को राजी हो गईं। रानी पद्मावती की सुन्दरता देखकर खिलजी पागल सा हो गया और उसने राणा रतनसिंह को बंदी बना लिया।*
                                                       
*राणा रतनसिंह को बंदी बनाने की खबर ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दी।चित्‍तौड़ की सेना अपने राजा को मुक्‍त कराने के लिए योजना बनाने लगी। अगले दिन सुबह होते ही 150 सैनिक पालकी के साथ रतनसिंह की सेना के सेनापति गोरा और बादल खिलजी के शिविर की तरफ बढ़ चले। इन पालकियों को देखकर खिलजी उत्साहित हुआ और सोचा इसी में ही पद्मावती को लेकर आये हैं मगर इस मे गोरा बादल की चाल थी इन पालकियो में राणा रतन सिंह को बचाने पहुचे गोरा और बादल और मेवाड़ की सशस्त्र सेना बाहर निकली और खिलजी के चगुल से रतनसिंह को आजाद करवा लिया इस मुठभेड़ में गोरा मेवाड़ी महानायक शहीद हो गया और बादल खिलजी के अस्तबल से घोड़े निकालकर चितोड़ की तरफ चल पड़े।*

*खिलजी से यह अपमान सहा नहीं गया और उसने मेवाड़ के साथ खुलेआम युद्ध का शंखनाद फूंक दिया। दोनों सेनाएं मैदान में एक-दूसरे से भिड़ पड़ीं। इस युद्ध में मेवाड़ी सेना के सारे सिपाही मारे गए साथ ही राणा रतन सिंह की भी मृत्‍यु हो गई। इसके बाद खिलजी ने दुर्ग के भीतर की राजपूत महिलाओ को बंदी बनाने का आदेश दे डाला। खबर पाकर रानी पद्मावती ने चित्तोड़ दुर्ग के अन्दर एक बड़ी चिता जलाने को कहा और जैसे ही खिलजी की सेना महिलाओं को बंदी बनाने के लिए दुर्ग के भीतर प्रवेश करने लगी। अपनी आबरू की खातिर पद्मावती और सभी राजपूत महिलाएं उस जलती अग्निकुंड में कूद पड़ी और देखते ही देखते सभी ने जोहर कर दिया मेवाड़ के इस जोहर को आज भी लोकगीतों में याद किया जाता हैं।*
*हमेशा की तरह फिल्म वालों ने विदेशों के बाजार अनुसार कहानी में रानी पद्मावती जिन्होंने अपनी एवं अन्य महिलाओं की आबरू बचाने के लिये बच्चों सहित पवित्र जौहर किया, को आक्रांता खिलजी  की प्रेमिका बनाकर कहानी रच दी।*

                                                              





*हम महिला की इज्जत-आबरू को सर्वोपरि मानने वाले समाज के सदस्य इस घटना में सहयोग ना कर सकते पर व्यक्तिगत समर्थन देकर पवित्र यज्ञ में आहुति दे सकते हैं।*
*कोई तो है जो फिल्मी समाज को राजस्थान में आँखे दिखाकर असलियत दिखाने कह रहा है।*



◆◆ *जय जय राजस्थान* ◆◆


No comments:

Post a Comment